रूस-यूक्रेन युद्ध को तीन साल हो चुके हैं, लेकिन यह जंग खत्म होने का नाम नहीं ले रही. अस्थाई सीजफायर पर सहमति अभी हाल ही मे बनी थी, मगर अब इसमें एक नया मोड़ आ गया है.

अमेरिका ने पहली बार खुले तौर पर स्वीकार किया है कि उत्तर कोरियाई सैनिक रूस के लिए लड़ रहे हैं. वॉशिंगटन का कहना है कि इन सैनिकों की मौजूदगी ने युद्ध को और लंबा कर दिया है और इसे पहले से ज्यादा खतरनाक बना दिया है.

अमेरिका ने पुतिन से की ये डिमांड
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने बुधवार को चेतावनी भरे लहजे में कहा कि रूस को उत्तर कोरियाई सैनिकों की तैनाती से फायदा हुआ है, जिससे यह संघर्ष और ज्यादा भयावह हो गया है. यह बयान ऐसे समय में आया है जब रूस के उप विदेश मंत्री आंद्रेई रुडेंको हाल ही में प्योंगयांग का दौरा कर लौटे हैं. इस दौरान दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग पर चर्चा हुई थी. जब अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता टैमी ब्रूस से इस बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने सीधे तौर पर कहा कि उत्तर कोरिया के सैनिक इस जंग को और लंबा कर रहे हैं. अमेरिका ने रूस से मांग की है कि वह प्योंगयांग की सैन्य मदद लेना बंद करे.

कैसे लड़ते हैं उत्तर कोरियाई सैनिक?
उत्तर कोरियाई सैनिकों की लड़ाई का तरीका बेहद खतरनाक और आत्मघाती बताया जा रहा है. वे किसी भी कीमत पर पकड़े नहीं जाना चाहते, इसलिए कई सैनिक खुद के ही नीचे ग्रेनेड फोड़कर आत्महत्या कर लेते हैं. वे हमलों को अंजाम देने के लिए अपने साथी सैनिकों का भी बलिदान करने से पीछे नहीं हटते.

इसके अलावा, तेजी से हमले करने के लिए वे अपने बॉडी आर्मर और हेलमेट तक उतारकर लड़ते हैं. इससे उनकी क्रूरता का अंदाजा लगाया जा सकता है. पश्चिमी खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब तक लगभग 12,000 उत्तर कोरियाई सैनिक रूस भेजे जा चुके हैं. इनमें से करीब 4,000 या तो मारे गए हैं या गंभीर रूप से घायल हुए हैं.

कैसे हुई रूस और उत्तर कोरिया की नजदीकी?
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2023 के आखिर में रूस और उत्तर कोरिया के बीच सैन्य सहयोग की शुरुआत हुई थी. यह वही उत्तर कोरिया है, जिस पर रूस ने खुद ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रतिबंध लगाए थे. लेकिन जब यूक्रेन के साथ जंग में रूस को गोला-बारूद और मिसाइलों की कमी महसूस हुई, तो उसने उत्तर कोरिया से हथियार खरीदने शुरू कर दिए. बदले में रूस ने उत्तर कोरिया को तेल देना शुरू किया, जो कि संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों का उल्लंघन था.

2024 में पुतिन ने प्योंगयांग जाकर किम जोंग-उन से मुलाकात की. इससे पहले पुतिन 2000 में उत्तर कोरिया गए थे, तब वहां किम जोंग-उन के पिता किम जोंग-इल सत्ता में थे. इस दौरान दोनों देशों ने एक रणनीतिक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसमें लिखा गया कि अगर किसी देश पर युद्ध की स्थिति आती है, तो वे एक-दूसरे की मदद करेंगे. इसके कुछ महीनों बाद ही उत्तर कोरियाई सैनिक रूस के लिए लड़ते दिखे. शुरुआत में रूस और उत्तर कोरिया ने इस तथ्य को नकार दिया कि उत्तर कोरियाई सैनिक रूस-यूक्रेन युद्ध में शामिल हैं. लेकिन अक्टूबर 2024 में पुतिन ने खुद स्वीकार किया कि अब उन्हें उत्तर कोरिया से सिर्फ गोला-बारूद ही नहीं बल्कि सैनिक भी मिल रहे हैं.