अमेरिका, चीन और रूस शीर्ष पर, हथियारों की होड़ में शामिल भारत
दुनिया में तीसरा विश्व युद्ध कब छिड़ जाए, इसका किसी को पता नहीं. तीन मोर्चे पर तो वैसे ही तनाव चल रहा है. रूस-यूक्रेन, इजराइल-गाजा और अब भारत पाकिस्तान. हालांकि भारत और पाकिस्तान के बीच जंग तो नहीं चल रही है, लेकिन जो तनाव बना है वो कभी भी जंग का रूप ले सकता है. तीन मोर्चे पर जारी इस तनाव ने हथियारों की बिक्री भी खूब बढ़ा दी है. इसमें सबसे ज्यादा खर्च तो वो देश कर रहे हैं जो दुनिया को शांति का पाठ पढ़ाते हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में हथियारों के खर्च में 9.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. इसमें 2718 बिलियन खर्च किया गया है. कोल्ड वार के बाद ये सबसे बढ़ा इजाफा है.
शांति की बात करने वाले यूरोप के देश और मिडिल ईस्ट के देशों ने हथियारों पर सबसे ज्यादा खर्च किया है. एसआईपीआरआई के आंकड़ों के अनुसार, सैन्य पर सबसे ज्यादा खर्च करने वाले देश अमेरिका, चीन, रूस, जर्मनी और भारत हैं. वैश्विक सैन्य खर्च में इनका 60 प्रतिशत योगदान है.
स्टडी में और क्या कहा गया?
शीत युद्ध की समाप्ति के बाद से वैश्विक सैन्य खर्च में ये सबसे ज्यादा वृद्धि है. दुनिया भर के 100 से अधिक देशों ने 2024 में अपने सैन्य खर्च में वृद्धि की है. एसआईपीआरआई के शोधकर्ता जिओ लियांग ने कहा कि चूंकि सरकारें अक्सर अन्य बजट क्षेत्रों की कीमत पर सैन्य सुरक्षा को प्राथमिकता देती हैं, इसलिए आर्थिक और सामाजिक व्यापार-नापसंद आने वाले वर्षों में समाजों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं.
सबसे ज्यादा खर्च यूरोप के देशों ने किया है. इसमें 17 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जो 693 बिलियन डॉलर हो गया है. 2024 में वैश्विक वृद्धि में इनका मुख्य योगदान रहा है. यूक्रेन में जंग के कारण पूरे महाद्वीप में सैन्य खर्च बढ़ता रहा जिससे यूरोपीय सैन्य खर्च शीत युद्ध के अंत में दर्ज किए गए स्तर से आगे निकल गया. माल्टा को छोड़कर सभी यूरोपीय देशों ने 2024 में अपने सैन्य खर्च में वृद्धि की.
रूस ने कितना खर्च किया?
रूस का सैन्य खर्च 2024 में 149 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो 2023 से 38 प्रतिशत की वृद्धि और 2015 के स्तर से दोगुना है. यह रूस के सकल घरेलू उत्पाद का 7.1 प्रतिशत और रूसी सरकार के कुल खर्च का 19 प्रतिशत है. यूक्रेन का कुल सैन्य खर्च 2.9 प्रतिशत बढ़कर 64.7 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो रूस के खर्च का 43 प्रतिशत है. सकल घरेलू उत्पाद के 34 प्रतिशत के साथ यूक्रेन पर 2024 में किसी भी देश की तुलना में सबसे बड़ा सैन्य बोझ था.
शोधकर्ता डिएगो लोपेस दा सिल्वा ने कहा, रूस ने एक बार फिर अपने सैन्य खर्च में वृद्धि की है, जिससे यूक्रेन के साथ खर्च का अंतर बढ़ गया है. यूक्रेन वर्तमान में अपने सभी कर राजस्व को अपनी सेना को आवंटित करता है. ऐसी तंग वित्तीय स्थिति में यूक्रेन के लिए अपने सैन्य खर्च को बढ़ाना चुनौतीपूर्ण होगा.
मध्य और पश्चिमी यूरोप के कई देशों ने 2024 में अपने सैन्य खर्च में अभूतपूर्व वृद्धि देखी. जर्मनी का सैन्य खर्च 28 प्रतिशत बढ़कर 88.5 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जिससे यह मध्य और पश्चिमी यूरोप में सबसे ज्यादा खर्च करने वाला और दुनिया में चौथा सबसे ज्यादा खर्च करने वाला देश बन गया. पोलैंड का सैन्य खर्च 2024 में 31 प्रतिशत बढ़कर 38.0 बिलियन डॉलर हो गया, जो पोलैंड के सकल घरेलू उत्पाद का 4.2 प्रतिशत है.
नाटो के सदस्य देशों ने कितना खर्च किया?
नाटो के सदस्य देशों में से 18 ने अपनी सेनाओं पर जीडीपी का कम से कम 2.0 प्रतिशत खर्च किया. अमेरिका के सैन्य खर्च में 5.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई. यह 997 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो कि नाटो के कुल खर्च का 66 प्रतिशत और 2024 में विश्व सैन्य खर्च का 37 प्रतिशत था.
मिडिल ईस्ट के देशों ने भी सैन्य पर अच्छा खासा पैसा खर्च किया, जो 243 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया. 2023 के मुकाबले इसमें 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी है और 2015 की तुलना में 19 प्रतिशत अधिक है.
इजराइल का खर्च जानिए
गाजा से जंग लड़ रहे इजराइल ने 2024 में सैन्य पर 46.5 बिलियन डॉलर खर्च किया. जो 1967 की जंग के बाद सबसे ज्यादा है. इसका सैन्य बोझ जीडीपी के 8.8 प्रतिशत तक बढ़ गया, जो दुनिया में दूसरा सबसे अधिक है. आर्थिक संकट और राजनीतिक उथल-पुथल के कारण कई वर्षों तक कम खर्च के बाद लेबनान का सैन्य खर्च 2024 में 58 प्रतिशत बढ़कर 635 मिलियन डॉलर हो गया.
चीन और उसके पड़ोसी देशों ने भी सैन्य पर मोटा खर्च जारी रखा है. चीन ने अपने सैन्य खर्च में 7 प्रतिशत की वृद्धि की. चीन ने एशिया और ओशिनिया में कुल सैन्य खर्च का 50 प्रतिशत हिस्सा खर्च किया है. जापान का सैन्य खर्च 2024 में 21 प्रतिशत बढ़कर 55.3 बिलियन डॉलर हो गया, जो 1952 के बाद सबसे बड़ी वृद्धि है. इसका सैन्य बोझ जीडीपी के 1.4 प्रतिशत पर पहुंच गया, जो 1958 के बाद सबसे अधिक है. ताइवान का खर्च 2024 में 1.8 प्रतिशत बढ़कर 16.5 बिलियन डॉलर हो गया.