ग्वालियर मेडिकल कॉलेज की अजीब दास्तांन / कारपेंटर के दरवाजे की टट्टी को को लेकर सीरियस क्यों हुए डीन आरकेएस धाकड़

ग्वालियर मेडिकल कॉलेज की अजीब दास्तांन
कारपेंटर के दरवाजे की टट्टी को को लेकर सीरियस क्यों हुए डीन आरकेएस धाकड़
Dharmveer singh Editor in chief-942577280
ग्वालियर मेडिकल कॉलेज के वर्तमान डीन एवं तत्कालीन अधीक्षक आरकेएस धाकड़ की ऐसी हास्यप्रद कार्यवाही से रूबरू कराने जा रहे हैं जो अपने आप में विचित्रता का रूप लिये हुए है। जिसमें साफ प्रतीत हो रहा है कि एक महिला स्टाफ नर्स को प्रताड़ित करने की मंशा से यह पूरा चक्रव्यूह तैयार किया गया है। बात कुछ इस प्रकार है। स्टाफ नर्स सुमन का अपने पास में रहने वाले कारपेंटर अतर सिंह से विवाद हुआ जिसका प्रकरण कंपू थाने में दर्ज कराया गया है। चंूकि प्रकरण गंभीर था इसलिये उसकी गंभीरता को देखते हुए अतर सिंह भी हरकत में आ गया और अपने बचाव में अपने ही साले बंटी से एक मामला सुमन के खिलाफ एससी एक्ट के तहत कंपू थाने में दर्ज करा देता है। दोनों ही मामले वर्तमान में माननीय न्यायायल में विचाराधीन हैं। लेकिन जब सुमन इस प्रकरण से भी अतर सिंह के समक्ष नहीं झुकी तो दूसरी विचित्र कार्यवाही का मजमूंन तैयार किया गया जिसका मूल आधार अतरसिंह के दरवाजे पर मानव मल करने को बनाया गया। सीधे तौर पर कहें कि अतर सिंह के दरवाजे पर टट्टी किसने की। इसकी जांच के लिये तत्कालीन अधीक्षक जेएएच आरकेएस धाकड़ के कार्यालय के पत्र क्रमांक 16021-24 दिनांक 07.09.2020 के अनुक्रम में तीन सदस्यी जांच कमेटी गठित गई जिसके अध्यक्ष डॉक्टर मनोहर सहायक प्रध्यापक रेडियालॉजी सदस्य डॉक्टर अजीत एवं डॉक्टर प्रवेश थे इनके द्वारा जांच करके 29.09.2020 अधीक्षक को दी जाती है उस जांच प्रतिवेदन में ऐसा कोई भी आरोप सिद्ध नहीं किया गय जिससे स्टाफ नर्स सुमन को किसी मामले के लिये दोषी माना जावे।
जांच प्रतिवेदन के निष्कर्ष में लेख है कि उक्त शिकायत के संबध में दोनों पक्षों एवं पड़ोसियों के बयान एवं स्थान का निरीक्षण से शिकायत संबधी कोई भी साक्ष्य जिसके विरूद्ध शिकायत की गई उसके प्रति प्राप्त नहीं हुए। अब अहंम बिंदु यह बनता है कि जेएएच के कैंपस में कौन जानवर या मानव किसके दरवाजे पर गंदगी कर रहा है उसकी जांच का जिम्मा डीन ने ले रखा है। जिसके लिये शिकायतों पर कमेटियां गठित कर डॉक्टरों से इस प्रकार का कार्य लेना मेडिकल कॉलेज की नियमावली में आता है। क्या यह घटना सरकारी मशीनरी और पदों के दुरूपयोग की कहानी बयां नहीं करती है।
अतरसिंह को बचाने के लिये एक टट्टी के मामले को इस प्रकार से प्रोपागंडा कर तिल का ताड़ बनाकर सुमन की लगी हुई वेतनवद्धियों को काट लिया गया। पूरा विभाग सुमन को नतमस्तक करने के लिये ऐड़ीचोटी का जोर लगा रहा है। आखिर अतरसिंह से ऐसा कौन सा नाता है जो विभाग के अधिकारी आंख मूंदकर उसके लिये नियम कायदों को ताक पर रखने से भी परहेज नहीं कर रहे हैं। इसके विषय में भी हम एक बड़ा खुलासा शीघ्र करेंगें। जिसके हमारे पास पुख्ता वीडिया ऑडियो साक्ष्य हैं। हम अपनी इस खबर के माध्यम से शासन प्रशासन को यह ज्ञात कराना चाहते हैं। महिलाओं को मातृ शक्ति का ढोंग करने वाले कैसे उनका शोषण करते हैं। यह तो एक सुमन की दर्द है जो अति की पराकाष्ठा के बाद बाहर आया है। न जाने ऐसी कई और सुमन अपने दर्द को मीडिया के समक्ष लाने मंे डरती हैं कि कहीं उनको अपनी नोकरी से हाथ न धोना पड़ जाये। एक नर्स ही होती है जिनके हाथों में मरीजों की सेवा करना लिखा है। और यदि उनके साथ ऐसा व्यवहार किया जाता रहा तो क्या आगे आने वाली पीड़िया इस कार्य को करना पसंद करेंगी जहां आर्थिक, मानसिक और शारीरिक शोषण रास्तों से गुजरना पड़ता हो। आजादी के 70 वर्षों बाद भी महिला की दिशा और दशा यह है तो आजादी का क्या अर्थ माना जावे।
आगे हम आपको बताएंगे कि
1. पुराने जेएएच हॉस्पीटल का हजार विस्तर के हॉस्पीटल में स्थानांतरण हुआ तो किसने कैसे किया घोटाला।
2. अपने ही सीनियरों को पीछे कर अतर सिंह कैसे बना वर्कशॉप प्रभारी।
3. महिला स्टाफ नर्स सुमन की दर्द भरी दास्तां
4. नर्सों का क्यों और किस लिये होता है शारीरिक शोषण?
5. तृतीय श्रेणी कर्मचारी अतर सिंह ने कैसे कमाई करोड़ों संपत्ति?
6. स्वयं का मकान होने पर भी शासकीय आवास में क्यों रहता है। अतर सिंह?
7. जेएएच में कैसे होता है दवा घोटाला?
8. एक ही सीट पर वर्षों से क्यों जमे कर्मचारी?
9. अतर सिंह कैसे बना करोड़पति?
10. अतर सिंह और आरकेएस की जुगलबंदी की कहानी?
11. आरकेएस धाकड़ और गोवा के समुद्र किनारे का सच क्यों नहीं आया सामने?
12. आठ बजे के बाद नर्सों को मिलने क्यों बुलाया जाता है?
ये कुछ ऐसे जिनसे हम शीघ्र पर्दा उठाएंगे। जिससे जेएएच में होने वाली घिनौंनि सच्चाई से शासन प्रशासन को रूबरू किया जा सके।